मातु पिता भ्राता सब कोई। संकट में पूछत नहिं कोई॥
अस्तुति केहि विधि करौं तुम्हारी। क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥
कीन्ही दया तहं करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥
त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई। सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥
मैना मातु की हवे दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥
मातु पिता भ्राता सब कोई। संकट में पूछत नहिं कोई॥
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥
दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥
O Lord! I beseech Your support and look for your divine blessing at this pretty instant. Preserve and protect me. Demolish my enemies using your Trishul. Release me through the torture of evil thoughts.
कमल नयन पूजन चहं सोई ॥ कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर ।
Shiv chaisa बृहस्पतिदेव की कथा
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे। छवि को देख नाग मुनि मोहे॥
क्षमहु नाथ अब चूक हमारी ॥ शंकर हो संकट के नाशन ।
जन्म जन्म के पाप नसावे। अन्तवास शिवपुर में पावे॥